Friday, September 20, 2024

मध्य प्रदेश: चैत्र मास में भगवान गणेश की पूजा का विशेष महत्व, किसने की थी चिंतामण गणेश की स्थापना

भोपाल। भगवान महाकाल की नगरी उज्जैन में महादेव के साथ भगवान श्री गणेश जी की भी आराधना का विशेष महत्व होता है। उज्जैन से 10 किलोमीटर दूर स्थित भगवान चिंतामण गणेश के चैत्र मास में दर्शन का स्कंद पुराण के अवंतिका खंड में उल्लेख किया गया है। चिंतामण गणेश मंदिर के पुजारी यह बताते हैं कि चैत्र मास के प्रति बुधवार के दिन यहां जत्रा का आयोजन किया जाता है। देशभर के श्रद्धालु भगवान श्री गणेश का आशीर्वाद लेने के लिए उज्जैन नगरी जाते हैं।

मंदिर में हैं गणेश जी की तीन प्रतिमाएं

आपको बता दें कि मंदिर में भगवान श्री गणेश की तीन प्रतिमाएं स्थापित हैं। भगवान चिंतामण गणेश के साथ-साथ यहां पर सिद्धिविनायक और इच्छामन गणेश का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान श्री राम ने वनवास के दौरान चिंतामण गणेश को स्थापित किया था। इसके अलावा इच्छामन और सिद्धिविनायक गणेश की स्थापना लक्ष्मण और सीता द्वारा की गई थी। मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं की चिंता दूर होने के साथ-साथ उनकी सारी मनोकामनाएं भी पूरी होती है और उन्हें कार्य में सिद्धि का आशीर्वाद भी हासिल होता है।

फसल का पहला भाग बप्पा को किया जाता है अर्पित

बता दें, चैत्र मास में गेहूं की फसल पककर तैयार हो जाती है। किसान अपनी उपज बाजार में बेचने से पूर्व उसका पहला भाग भगवान चिंतामण को चढ़ाते हैं। इसे धड़ा कहते हैं। आज भी बड़ी संख्या में किसान यहां अपने गेहूं और चने की उपज का पहला हिस्सा भगवान को अर्पित करते हैं।

शाही जत्रा 5 अप्रैल को

चैत्र मास के प्रथम बुधवार से भगवान श्री चिंतामण गणेश की चैत्र मास की जत्राओं का क्रम का आरंभ हो गया है। बुधवार तड़के 4 बजे से ही चिंतामण गणेश मंदिर के पट खोल दिए गए थे और गणेश जी को सुंदर तरीके से तैयार क्या गया था। मंदिर के पुजारी का कहना है कि चैत्र मास में इस बार भगवान चिंतामण की पांच जत्राओं का आयोजन होगा। दूसरी जत्रा 15 मार्च को, तीसरी जत्रा 22 मार्च को, चौथी जत्रा 29 मार्च को और शाही जत्रा का 5 अप्रैल को आयोजन होगा। उन्होंने कहा कि चैत्र मास की जत्रा का विशेष महत्व होता है।

Latest news
Related news